काश, की मेरे सिने में भी दिल होता,
मेरे ना सही, किसी और के सिने में धड़कता,
उसके एहसासों का मनचला मंज़र,
यूँ मेरी साँसों की लहरों से गुजरता,
वो आंहें भरती तन्हाई में और
मुझे उसकी महफ़िल का खुमार होता,
काश, की मेरे सिने में भी दिल होता…!
Deep Love Poem
वो सोती मेरे ख्यालों की सेज पर,
उसके ख्वाबों का कारवाँ मेरी आँखों में होता,
काली-काली घनेरी घनघोर रातों में,
प्यार भरी रोशनी से रोशन सिलसिला होता,
काश, की मेरे सिने में भी दिल होता…!