Mothers day womb Poetry

Best Mother’s womb Poetry: अच्छा लगता था माँ की कोख में

Mother’s womb Poetry

आँखे खुलते मैंने ये क्या देखा

कोई डूबा हुआ है शौक में,

कोई रो रहा है रोग में,

कोई भोंक रहा है भोग में,

कोई तड़प रहा है वियोग में,

क्यूँ गया मै इस भूलोक में ?

अच्छा लगता था माँ की कोख में |

Mother’s womb Poetry

किसीने साथ ना दिया दुःख में,

किसी ने निवाला ना दिया मुख में,

किसी ने कुछ ना दिया भीख में,

किसी ने नि:वस्त्र छोड़ दिया धुप में,

क्यूँ गया मै इस भूलोक में ?

अच्छा लगता था माँ की कोख में |

माँ यहाँ बस दुःखदर्द और दारु है कांख में,

माँ यहाँ हर आदमी फिरता है फ़िराक में,

माँ यहाँ बस पापीपाखंडी रहते है साख़ में,

माँ यहाँ इमानदारी मिल जाती है ख़ाक में,

क्यूँ गया मै इस भूलोक में ?

अच्छा लगता था माँ की कोख़ में |

माँ तू ममतामय है, करुण ह्रदय है, इस जग में,

माँ तू शांति है, सहनशील है, इस वेग में,

माँ तू मर्मस्पर्शी है, पारदर्शी है,हर युग में

माँ तू सर्वस्व है, समर्पण है,हर लेख में,

क्यूँ गया मै इस भूलोक में?

अच्छा लगता था माँ की कोख़ में?

Mother’s womb Poetry

Read more interesting stuff…

Mothers Day Poem-My heaven is only under your feet

Son & Daughter Day Poem-माँ की खोज में

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *