Ramadan Eid poem in hindi
मेरी अजीज़ अम्मी, मेरे अजीज़ अब्बूजान
मेरी प्यारी आपा, मेरे प्यारे भाईजान
तुम सब को मुबारक हो माहे-रमजान…
तुम सब को मुबारक हो माहे-रमजान…|
निगाहों को था जिसका बेसब्री से इंतज़ार
माहे-रमजान के लिए हर शख्स था बेकरार
लो आसमां में निकला चाँद, हो गए दीदार |
तुम सब को मुबारक हो माहे-रमज़ान…
तुम सब को मुबारक हो माहे-रमज़ान…|
इसी माह में अवतरित हुआ था पाक कुरान,
इसीलिए फरमाते है इसको माहे-रमज़ान,
खुदा के बन्दे नेकी करें और बदी से टलें,
बस यही है मेरे खुदा का अरमान |
तुम सब को मुबारक हो माहे-रमज़ान…
तुम सब को मुबारक हो माहे-रमज़ान…|
अल्लाह की इबादद में रोजा रखता हर इंसान,
जकात देता है दिल से हर मुसलमान,
पांचो पहर की नमाज़ है जिसका ईमान,
तुम सब को मुबारक हो माहे-रमज़ान…
तुम सब को मुबारक हो माहे-रमज़ान…|
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