Sun Rise Poetry in Hindi
सिसकती साँसों से पूछो,
वक्त का पहरा क्या है ?
रजनी लपेटे सफेदी में,
शशि में इतना,
गहरा क्या है?
है भान नभ के,
भानु प्रताप को,
लबों पे लालिमा लिए,
सवेरा क्या है?
क्यूँ गुलशन करता,
नाज इतना शुलों पे,
है एहसास गुलों को,
भंवरों का पहरा क्या है?
क्षितिज को साहिलों से मिलाती,
सागर पे लहराती,
सरगम–सी लहरों का,
बसेरा क्या है?
माटी से माटी तक का सफ़र,
जानता है सिर्फ वो कुम्हार,
कि इस खोखले खिलौने का,
चेहरा क्या है?
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