Drunk Student Poetry: उठो लल्लू दारु लाया कुल्ला कर लो
Drunk Student Poetry in Hindi
उठो लल्लू
अब आँखे खोलो
दारू लाया
कुल्ला कर लो
बीती रात बहुत चड़ाई
तुमने की ना रत्ती भर पढाई
एक्ज़ाम का वक्त है भाई
खोलो पोथी पुस्तक
२-४ आखर पडलो साईं
टॉप तो मार ना पाओगे
चिट नहीं बनाई तो
पास भी नहीं हो पाओगे
होंश में आओ लल्लू
बंद करो अब बनना उल्लू
ओ ढर्रों पव्वों के गणपत
अच्छी नहीं सुट्टों की लत
फिर ना गिडगिडाना कि
तुमने बताया नहीं दोस्त
तुमने बताया नहीं दोस्त
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