Kishor kumar death anniversary: किशोर दा ने क्यों की थी चार शादियाँ?
Kishor kumar death anniversary – जिन्दगी एक सफ़र है सुहाना…यहाँ कल क्या हो किसने जाना…जी हाँ फिल्म का नाम अंदाज़, सन 1971 में बनी इस फिल्म में किशोर कुमार ने इस गाने को अपने बिंदास और मधुर सुरों में पिरोया था. किशोर कुमार चाहे आज हमारे साथ नहीं है मगर उनकी मधुर आवाज हमारे बीच अमर हो गई है.![]() |
Kishor Kumar death anniversary |
आज किशोर दा की पुण्यतिथि है, उनकी इस पुण्यतिथि पर Freaky Funtoosh Team की ओर से श्रद्धांजलि. आज हम आपको कुछ ऐसे अनछुए पहलुओं से रूबरू कराने जा रहे है जो उनकी जिन्दगी और करियर से जुड़े है-
किशोर कुमार की मृत्यु 13 अक्टूबर सन 1987 को दिल का दौरा पड़ने से हुई थी.
किशोर कुमार की डेथ उनके भाई अशोक कुमार के बर्थडे वाले दिन हुई थी.
किशोर कुमार खंडवा शहर मध्य प्रदेश के रहने वाले थे.
महज बारह वर्ष की उम्र में किशोर दा ने संगीत में महारत हासिल कर ली थी.
उनको रेडियो पर बजने वाले गानों पर नाचना बहुत पसंद था.
फ़िल्मी गानों की पंक्तियों को दाएं से बाएँ गाने में किशोर कुमार ने महारत हासिल कर ली थी.
जब भी कोई उनका नाम पूछता तो वे कहते- रशोकि रमाकु नाम है मेरा.
गांगुली परिवार में जन्मे किशोर दा की माँ का नाम गौरीदेवी और पिता का नाम कुंजीलाल गांगुली था.
किशोर कुमार अपने भाई बहनों में सबसे छोटे थे और उनके पिताजी वकील थे.
किशोर दा ने शिकारी फिल्म(1946) से अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत की थी.
किशोर कुमार ने अपने जीवन काल में चार शादियाँ की थी फिर भी वे प्रेम के प्यासे ही रहे.
किशोर कुमार को मुंबई की पार्टियों में शामिल होना कभी पसंद नहीं रहा.
उनकी आखरी इच्छा के अनुसार ही उनका खंडवा में अंतिम संस्कार हुआ.
किशोर कुमार को उनके गानों के लिए आठ बार फिल्म फेयर अवार्ड मिल चूका है.
उन्होंने लगभग 600 से भी अधिक हिंदी फिल्मो में अपना संगीत दिया है.
किशोर दा ने बंगला, मराठी, आसामी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी और उड़िया आदि फिल्मो में भी अपना संगीत दिया है.
क्रिस्चियन कॉलेज इंदौर का किस्सा
पांच रुपइया बारह आना… गाना तो आपने सुना भी होगा और गुनगुनाया भी होगा, वास्तव में इस गाने के पीछे बड़ी ही दिलचस्प कहानी है. किशोर कुमार इंदौर के क्रिस्चियन कॉलेज में अपनी पढाई कर रहे थे, एक दिन कॉलेज के कैंटीन में पांच रुपये बारह आना की उधारी हो गई थी, जब भी कैंटीन वाला पैसे मांगता तो वे टेबल बजा-बजा कर नई-नई धुन निकाला करते थे और फिर उन्होंने इसी तर्ज पर यह गाना बनाया.