Milkha Singh Death: भारत को अपनी उपलब्धियों से दुनिया में नाम दिलाने वाले देश के मजबूत धावक और एथलीट मिल्खा सिंह का शुक्रवार देर रात निधन हो गया। ‘फ्लाइंग सिख’ के नाम से मशहूर महान धावक मिल्खा सिंह का कोरोना से निधन हो गया। उन्होंने 91 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। वह राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय थे।
Milkha Singh का खेलों में योगदान
मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवंबर 1929 को हुआ था। ‘फ्लाइंग सिख’ ने रोम में 1960 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक और टोक्यो में 1964 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया। इसके साथ ही उन्होंने 1958 और 1962 के एशियाई खेलों में भी स्वर्ण पदक जीते थे। उन्होंने 1960 के रोम ओलंपिक खेलों में पूर्व-ओलंपिक रिकॉर्ड को तोड़ा, लेकिन उन्हें पदक से वंचित कर दिया गया। इस दौरान उन्होंने ऐसा राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया, जो करीब 40 साल बाद टूटा।
अपने जीवन में मिल्खा ने भारत के लिए कई मेडल जीते हैं, लेकिन रोम ओलंपिक में उनके मेडल से चूकने की कहानी लोगों को आज भी याद है। अपने करियर के दौरान, उन्होंने लगभग 75 रेस जीतीं। वह 1960 के ओलंपिक में 400 मीटर की दौड़ में चौथे स्थान पर रहे थे। उन्होंने 45.73 सेकेंड का समय लिया, जो कि 40 साल के लिए एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड था। मिल्खा सिंह को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए 1959 में पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें 2001 में अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया।
आपको बता दें कि, मिल्खा कॉमनवेल्थ गेम्स में एथलेटिक्स में गोल्ड मेडल जीतने वाले इकलौते खिलाड़ी थे, लेकिन बाद में कृष्णा पूनिया ने 2010 में डिस्कस थ्रो में गोल्ड मेडल जीता था। इसके साथ ही उन्होंने 1958 और 1962 के एशियन गेम्स में भी गोल्ड मेडल जीता था। . मिल्खा ने कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। खेलों में उनके अतुलनीय योगदान के लिए, भारत सरकार ने उन्हें भारत के चौथे सर्वोच्च सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया।
Milkha Singh को “फ्लाइंग सिख” क्यों कहते है?
मिल्खा सिंह का नाम फ्लाइंग सिख कैसे पड़ा? दरअसल, एशियन गेम्स में चार गोल्ड और कॉमनवेल्थ गेम्स में एक गोल्ड मेडल जीतने वाले मिल्खा सिंह रफ्तार के दीवाने थे. फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर इस धावक को दुनिया के हर कोने से प्यार और समर्थन मिला। मिल्खा का जन्म अविभाजित भारत में हुआ था, लेकिन आजादी के बाद वे भारत आए। मिल्खा की प्रतिभा और गति ऐसी थी कि उन्हें पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने ‘फ्लाइंग सिख’ की उपाधि से नवाजा था। तभी से मिल्खा सिंह पूरी दुनिया में ‘फ्लाइंग सिख’ के नाम से जाने जाने लगे।
Milkha Singh Death & Last Wish
मौजूदा दौर में भारत के पास बैडमिंटन से लेकर निशानेबाजी तक विश्व चैंपियन है। लेकिन ‘फ्लाइंग सिख’ मिल्खा सिंह की एक इच्छा अधूरी रह गई। वे दुनिया छोड़ने से पहले भारत को एथलेटिक्स में ओलंपिक पदक जीतते देखना चाहते थे। लेकिन आज वो हमारे बीच नहीं रहे।
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