Painful Poetry in Hindi जाने क्यूँ ये दर्द, मीठा-मीठा -सा लगता है हर ज़ख्म पर कोई, मिश्री घोल रहा हो जैसे अपने ही आंसुओं पर, दरिया बन गई है ये आँखें हर नज़र में कोई शख्स,शबनम टटोल रहा हो जैसे अपनों का कारवां अपनी ही नब्ज़ में शूल सा लगता […]
Painful Poetry in Hindi जाने क्यूँ ये दर्द, मीठा-मीठा -सा लगता है हर ज़ख्म पर कोई, मिश्री घोल रहा हो जैसे अपने ही आंसुओं पर, दरिया बन गई है ये आँखें हर नज़र में कोई शख्स,शबनम टटोल रहा हो जैसे अपनों का कारवां अपनी ही नब्ज़ में शूल सा लगता […]