Ghalib Poetry in Hindi: ऐ ग़ालिब तेरे शहर में,ये कैसी गरमी?
Ghalib Poetry in Hindi ऐ ग़ालिब तेरे शहर में ये कैसी गरमी है कहीं इंसानियत पे अत्याचार तो कहीं हेवानियत और बेशर्मी है. किसे बयां…
Ghalib Poetry in Hindi ऐ ग़ालिब तेरे शहर में ये कैसी गरमी है कहीं इंसानियत पे अत्याचार तो कहीं हेवानियत और बेशर्मी है. किसे बयां…