इस दिन हिन्दुओं के गुरु महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास (वेद व्यासजी) का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को गुरुपूर्णिमा के रूप में मनाते है।
गुरुपूर्णिमा के दिन विद्यार्थी और बच्चे अपने गुरुओं का आशीर्वाद लेते है, ताकि उनका जीवन सफल हो सके।
वेदव्यास जी ने महान ग्रन्थ महाभारत की रचना की थी। वे उन सभी घटनाओ के साक्षी भी थे, जो महाभारत काल में घटित हुई।
श्री वेदव्यास की माता का नाम सत्यवती और पिता का नाम ऋषि पराशर था। उनके 3 भाई-बहन और एक पुत्र था।
वेदव्यासजी ने अपनी दिव्य दृष्टि से चार वेदों की रचना की थी जिनके नाम ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद है।
वेदों, धर्म ग्रंथो, और महाभारत के महान रचयिता महर्षि व्यासजी का मन्दिर व्यासपुरी में है जो काशी से लगभग 5 मील दूर है।
उस कालखंड में व्यासजी के पांच महान शिष्य हुए, जिनके नाम रोम हर्षण, सुमन्तुमुनि, वैशम्पायन, पैल और जैमिन थे।
भारतीय इतिहास में संस्कृत साहित्य में वाल्मीकि ऋषि के बाद वेद व्यास ही सबसे सर्वश्रेष्ठ और महान कवि हुए हैं।
काशी के रामनगर दुर्ग में वेदव्यास जी की सबसे प्राचीन मूर्ति विराजमान है, जिसे जनता छोटा वेदव्यास के नाम से जानती है।
वेदव्यास जी ने काशी को श्राप दे दिया था, जिसके कारण विश्वेश्वर ने उन्हें काशी से निकाल दिया था।
माघ माह में हर सोमवार को गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में मेला लगता है, जिसे व्यासजी की जयन्ती के रूप में मनाया जाता है
Watch More...